एक ऐसी घटना थी जिसने shafi नामक director को जन्म दिया।

”उस सीन की गहराई में एक ऐसी सच्चाई छिपी थी, जिसने shafi director की कल्पना को उड़ान दी। वह पल, जब मुख्य पात्र ने अपने जीवन के सबसे कठिन मोड़ को स्वीकार किया, शफ़ी के मन में एक सशक्त कहानी बुनने का बीज बो दिया। उसने सोचा, “क्यों न मैं इस भावनात्मक यात्रा को अपनी आवाज़ दूं?”

Shafi director ने तब से फिल्म निर्माण की दुनिया में कदम रखा, इस उद्देश्य के साथ कि वह उन कहानियों को जीवंत करे जिनमें सच्चाई और इंसानियत की धड़कन हो। उसकी फिल्मों में हमेशा एक गहरा संदेश होता था, जो दर्शकों के दिलों में एक खास जगह बनाता।

वह जानता था कि एक अच्छा सीन बस एक कहानी का हिस्सा नहीं होता; यह तो एक संपूर्ण अनुभव होता है। और उन्हीं अनुभवों को उसने अपनी फिल्मों में बुनने की कोशिश की। जस्सु जैसी फिल्में, जो समाज की धाराओं के खिलाफ जाकर सवाल उठाती थीं, शफ़ी के लिए अपनी पहचान बनाने का एक माध्यम बन गईं।

Shafi यह समझने लगा था कि कला का हर टुकड़ा, चाहे वह कितनी भी छोटी क्यों न हो, दर्शकों को सोचने पर मजबूर करता है। वह कहता, “हर कहानी में कुछ न कुछ सिखाने की ताकत होती है, बस उसे सही तरीके से प्रस्तुत करने की आवश्यकता है।”

और इसी प्रकार, एक साधारण सीन ने उसे उत्तरी दिशा दिखाई, जिसने न सिर्फ उसकी दिशा बदली, बल्कि सिनेमा की नई परिभाषा स्थापित करने की राह भी खोली। अब shafi अपने नाम के साथ एक नया अध्याय जोड़ते हुए, फिल्मी दुनिया में अपनी आदर्श कहानियों के साथ अविस्मरणीय छाप छोड़ने को तत्पर था।”

Kochi: कल देर रात मलयालम फिल्म जगत को बड़ा झटका मिला। प्रसिद्ध shafi director का निधन हो गया, जो कोच्चि के एक निजी अस्पताल में दोपहर करीब 12.25 बजे निधन हुए।

Shafi director ने कई हिट फिल्में जैसे Kalyanaraman, Chatambinad, Mayavi, and Thommanam Makkam दीं। उनकी पहली फिल्म One Man Show थी। shafi ने अपने भाइयों rafi और McCartin की तरह सिनेमा में कदम रखा, जो Malayalam Cinema में पटकथा लेखक और सफल निर्देशक बने।

shafi एक कलात्मक परिवार से थे, जिसमें Cochin Haneef and director Siddique शामिल हैं। जीवन में कठिनाइयों के कारण, shafi and rafi ने पहले एक बैग कंपनी चलायी, फिर सिनेमा में रफ़ी ने पटकथा लेखक और बाद में मेकार्ट के साथ मिलकर निर्देशक के रूप में काम किया।

shafi ने सहायक निर्देशक के रूप में फिल्म उद्योग में कदम रखा और राजसेनन, सिद्दीकी तथा रफी मैककार्टिन के साथ काम किया। उन्होंने कनमनी, दिल्लीवाला राजकुमारन, हिटलर और फ्रेंड्स जैसी सफल फिल्मों के सह-निर्देशक रहे। सहायक निदेशक के रूप में काम करने के बाद, शफी ने रफ़ी मैककार्ट की पटकथा पर आधारित एक फिल्म निर्देशित करने का सपना देखा, लेकिन अपने भाई से पूछने में हिचकिचाते रहे।

इसी बीच, रफी मेकार्टनी की थेनकाशीपट्टनम की शूटिंग चल रही थी। शफी ने रफ़ी की अनुपस्थिति में दिलीप काव्य का दृश्य शूट किया। जब रफी ने संपादन टेबल पर यह दृश्य देखा, तब उन्होंने अपने छोटे भाई shafi के लिए अगली फिल्म लिखने का निर्णय लिया, और इस तरह वन मैन शो का निर्माण हुआ।

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